आज रात के बाद की सुबह का बेसब्री से इंतज़ार था दोनों मां - बिटिया को......। आज रात के बाद की सुबह का बेसब्री से इंतज़ार था दोनों मां - बिटिया को......।
कहा — ‘विदा’ एक दिन नदी ने तरेर कर अपनी आँखें, और मेरी उँगलियों से चुम्बक की तरह चि कहा — ‘विदा’ एक दिन नदी ने तरेर कर अपनी आँखें, और मेरी उँगलियों से च...
मैं सपनो संग सच जाग रही थी ख़याली पुलाव पका रही थी। मैं सपनो संग सच जाग रही थी ख़याली पुलाव पका रही थी।
रास्ते की तरह दिख रही थी ज़िन्दगी जैसे जैसे चलती गई वैसे ही राह मिलती गई। रास्ते की तरह दिख रही थी ज़िन्दगी जैसे जैसे चलती गई वैसे ही राह मिलती गई।
रोटी यूँ ही नहीं फूलती थी गुब्बारे सी रोटी यूँ ही नहीं फूलती थी गुब्बारे सी
वो थी वो थी